सूरत-ए-हाल उप्र लोक सेवा आयोग प्रयागराज

 



मैं प्रभात कुमार हूँ, लुटिया डुबो कर दम लूंगा, रोक सको तो रोक लो . . .। मैं वही प्रभात कुमार हूँ जिसने बेसिक शिक्षा में रायता फैलाया, जिसमें मूल विज्ञापन में बदलाव करने के चलते शिक्षक भर्ती परीक्षा कोर्ट के चक्कर मे फंसी। धन्य है आपकी ईमानदारी प्रभात जी। लखनऊ में आपकी ईमानदारी की जितनी चर्चा सुना हूँ इस तरह के काम के आगे उस ईमानदारी का कोई मोल नहीं रह जाता। प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के भविष्य का  इतने बड़े हंता मत बनिये।


. . .जी हाँ, यह कारनामा अनिल यादव नहीं प्रभात कुमार करने जा रहे हैं। शायद प्रभात जी की इसी तरह की दूरदर्शिता का ही आलम रहा होगा कि बेसिक शिक्षा में रहते 68500/69000, शिक्षक भर्ती को कोर्ट में घसीटने का कारण बना। मूल विज्ञापन में बदलाव करने के आदी हो चले प्रभात कुमार अब उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित सहायक समीक्षा अधिकारी, समीक्षा अधिकारी 2016 की प्रारंभिक परीक्षा में आजमाने जा रहे हैं।


बताते चलें कि 2016 आरओ, एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा जो 2016 में आयोजित की गई थी पर्चा लीक होने के बाद सूबे के वरिष्ठ आईपीएस अमिताभ के लगातर प्रयासों की बदौलत आयोग को परीक्षा स्थगित करनी पड़ी थी। अब लंबे अंतराल के बाद जब 2016 कि परीक्षा 2020 में आयोजित होने जा रही है तो मूल विज्ञापन में बदलाव करते हुए आयोग अध्यक्ष परीक्षा में माइनस मार्किंग, 13 गुना क्वालीफाई कराने जैसे तुगलकी फरमान प्रभात कुमार द्वारा सुनाया जा रहा है।


नियम तो यह कहता है कि किसी भी कानून का प्रभाव भूतकालिक नहीं होता। . . .तो फिर ऐसे में आयोग अध्यक्ष किस अधिकार से 2016 की परीक्षा में अपना ये तुगलकी फरमान जारी करने जा रहे ? ज्यादे अच्छा हो आयोग अध्यक्ष आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए कुछ सार्थक प्रयास करें।


देर सबेर 2016 की ये परीक्षा आयोग की अदूरदर्शिता की बदौलत कोर्ट में जरूर फंसेगी। वैसे भी आप आयोग और सरकार की प्रदेश के युवाओं को नौकरी देने की रफ्तार को आप अच्छी तरह समझ सकते हैं कि 2016 की परीक्षा 2020 में होने जा रही है। वो भी मूल विज्ञापन में बदलाव के साथ। . . .आखिर प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ आयोग इतना भद्दा मजाक क्यों करने की ठान ली है. . . ये समझना मुश्किल है।


(लेखक : श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह जी लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार हैं 9415650340)