पिछले वर्ष 2019 में मैंने कैलाश मानसरोवर की यात्रा की थी। कैलाश मानसरोवर हिन्दुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा है, प्रत्येक हिन्दू इस यात्रा को करना चाहता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा काफी दुर्गम तथा खर्चीला होने की वजह से काफी लोग यात्रा नहीं कर पाते यात्रा की दुर्गमता तथा खर्चीला होने का मुख्य कारण चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा है। इस यात्रा के लिए चीन से वीजा लेना पड़ता है शुल्क के रूप में चीन मनमानी पैसा वसूलता है और जब चाहे बीच में यात्रा भी रोक देता है।
सन् 1949 तक तिब्बत आजाद था तथा तिब्बत ने सन् 1947 में दिल्ली में इफ्रो एशिया सम्मेलन में स्वतन्त्र राज्य के रूप में भाग भी लिया था तब तक तिब्बत में भारतीय मुद्रा व डाक व्यवस्था चलती थी। सन् 1951 में चीन ने तिब्बत पर आक्रमण किया जिसमें 80,000 तिब्बती लोग मारे गए तथा 25,000 तिब्बती आज भी चीन के जेलों मे कैदी के रुप में बन्द हैं।
यात्रा के दौरान हमने तिब्बत की सड़कों पर जो खामोशी तथा तिब्बतियों के आंखों में मैंने जो देखा व महसूस किया वे आज भी तिब्बत के आजादी के लिए भारत की तरफ आस लगाये बैठे हैं। उनके धर्मगुरु परन पावन दलाई लामा 1959 में वहां से छिपते छिपाते भागकर भारत में शरण लिए हुए है। दलाई लामा जी अक्सर सारनाथ में आते रहते हैं। सारनाथ में उनसे हमारी अक्सर मुलाकात होती रहती है। एक बार हमने जब अटल बिहारी भारत के प्रधानमंत्री थे तब उनसे पूछा था कि तिब्बत की आजादी के लिए इस अटल सरकार से आपको क्या उम्मीद है उनका ज़बाब था मुझे भारत और भाजपा से पूरी उम्मीद है। भाजपा के शासनकाल में ही भारत चीन से तिब्बत को मुक्त करायेगा बस समय का इंतजार करिए।
कैलाश मानसरोवर तिब्बत में है जो तिब्बत हिन्दुस्तान का कभी राजकीय हिस्सा रहा है। डाक्टर राममनोहर लोहिया मैकमोहन रेखा को भारत चीन सीमा रेखा मानते ही नहीं थे उनका कहना था कि चीन की वास्तविक सीमा भारत का राजकीय हिस्सा तिब्बत के बाद शुरू होता है जो मैकमोहन रेखा से 80 मील उत्तर कैलाश मानसरोवर से उस पार है। इसके लिए वे जवाहरलाल नेहरू को दोषी मानते थे। उन्होंने नेहरू से कटु शब्दों में पूछा था कि किस देश का प्रमुख देवी देवता विदेश मे रहते हैं जहां जाने के लिए उनके भक्तों को वीजा लेकर जाना पड़ता है।
हमारे शिव पार्वती जी का निवास कैलाश पर है और वे विदेश में ज्यादा दिन नहीं रहेगे। भारत की गद्दी पर हमेशा नपुंसक ही नहीं बैठेंगे जिस दिन शिव कृपा से कोई हिन्दू गद्दी पर बैठेगा वह चीन से तिब्बत को मुक्त कराकर कैलाश मानसरोवर को भारत का अंग बनाएगा।
कैलाश मानसरोवर यात्रा मेरे द्वारा नेपाल के नेपालगंज एअरपोर्ट से सिमीकोट व सीमीकोट से हिलसा तक हेलीकॉप्टर द्वारा किया गया उसके बाद चीनी चेकपोस्ट पर वीजा वगैरह चेक किया गया ताज्जुब तब हुआ जब वीजा पर कोई मोहर नहीं लगा।
खैर बस द्वारा हम होटल पहुंचे वहां दूसरे दिन सुबह हमलोग कैलाश मानसरोवर के लिए प्रस्थान किए मानसरोवर मे स्नान ध्यान पूजन के बाद बस द्वारा ही मानसरोवर की परिक्रमा किया परिक्रमा के बाद कैलाश पहुंचे जहां यम द्वार से यात्रा शुरू की जाती है मानसरोवर की परिक्रमा व कैलाश के दर्शन से परम संतुष्टि चित्त वृत्ति को पुलकित कर रही थी। वैसे चित्त प्रसन्न ही होता है, पुलकित तो मन था जो मानव को संचालित करता है। आखिर मन पुलकित क्यों न हो जिसने मानसरोवर में डुबकी लगाई हो।
वापस लौटना था मन विचलित होने लगा मन में एक प्रश्न उठा कि हमारे प्रभु विदेश में कब तक ?
मन की सांत्वना कहिए या प्रभु का संदेश उत्तर मिला काशी का लाल ही इस लाल झंडे वालों(चीन) से तिब्बत को मुक्त करायेगा।
1951 में चीन ने जब तिब्बत पर आक्रमण किया था डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि चीन ने शिशु हत्या की है उसका दंड उसे मिलेगा आज वर्तमान परिवेश में चीन द्वारा विश्व को जो वैश्विक महामारी कोरोना वायरस दी गई है जिससे विश्व में लाखों लोगों की जान गई पूरे विश्व को भारी जनधन की क्षति का सामना करना पड़ा। आज पूरा विश्व एक मंच पर खड़ा दिखाई दे रहा है और कहीं ना कहीं सबके मन में यह आशंका बलवती होती जा रही है कि चीन का यह दमनकारी रवैया आगे भी बढ़ता जाएगा और चीन मानवता के लिए घातक होता जा रहा है। चीन ने कोरोना वायरस के आरोप से बचने के लिए भारत के विरुद्ध जो लेह लद्दाख में खेल खेला उसमें वह फँसता जा रहा है, आज पूरे विश्व की निगाह भारत और चीन पर लगी हुई है।भारत जहां मानवता का सबसा सबसे बड़ा रक्षक है, वहीं चीन की छवि मानवता के सबसे विनाशक के रूप में बढ़ती जा रही है।
अब भारत को तिब्बत की आजादी का मामला चीन के आंतरिक मामले के रूप में न छोड़कर 1951 से पूर्व की स्थिति बहाल के लिए तिब्बत की आजादी के लिए पहल करनी चाहिए यह उचित समय है। मेरा धर्म भी यही कहता है कि मानवता की रक्षा सबसे बड़ा धर्म है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में कहा है ...यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
इस श्लोक में योगेश्वर श्री कृष्ण कहते हैं, “जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है और अधर्म आगे बढ़ता है, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर जन्म लेता हूँ।
सज्जनों और साधुओं की रक्षा के लिए, दुर्जनो और पापियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं हर युग में जन्म लेता हूँ।”
जम्मू कश्मीर धारा 370 समाप्ति राम जन्मभूमि मंदिर के विवाद को समाप्त कर हमारे सांसद व देश के सचिव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो कार्य किया है उससे यह आशा बलवती होती जा रही है कि काशी से कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी वीजा मुक्त होगा . . . जय काशी, जय कैलाश।।
(लेखक : डा. अरविन्द कुमार सिंह जी वाराणसी दूरदर्शन से संवाददाता के रूप में जुड़े हुए हैं 94150202460)