भारत देश की सीमा पर जबरन अवैध कब्जे को लेकर चीन देश द्वारा की जा रही हदबरदारी को सरासर गलत ठहराते हुये रिटायर्ड फौजी ओम सिंह राणा ने कांग्रेस पार्टी के परिवार को कटघरे में खड़ा किया है। सोशलमीडिया पर अपना पोस्ट लिखते हुए उन्होंने कहा कि मैं, आपका दोस्त ओमसिंह राणा (एक रिटायर्ड फौजी) आपसे प्रार्थना करता हूं कि मैं जो लिख रहा हूँ वह ध्यान से पढ़ें।
फौजी श्री राणा ने लिखा है कि आज जब इतनी चर्चा Blunder Master नेहरू जी की हुई है तो थोड़ी सी चर्चा उनके नाती यानि राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी की भी होनी चाहिए।
राजीव जी अपने प्रधानमंत्रित्व काल में श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा पर गए थे, उनके साथ हमारे तब के सेनाध्यक्ष भी थे। वहाँ उनके सम्मान में दी गई डिनर पार्टी के दौरान उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति से वादा कर लिया कि LTTE से निपटने में उनकी सहायता करने के लिए भारत अपने सैनिक भेजेगा।
ये सुनकर उसी जगह मौजूद हमारे सेनाध्यक्ष हैरान रह गए, क्योंकि इस तरह के महत्वपूर्ण निर्णय बिना CCS (Cabinet committee on Security) की मीटिंग और RAW की सलाह के बगैर नहीं लिए जाते। लेकिन राजीव जी तो राजा थे, इसलिए उन्होंने बस निर्णय ले डाला और उसी जगह मौजूद सेनाध्यक्ष से एक बार पूछना भी उचित नहीं समझा।
भारत लौटने के बाद RAW के चीफ ने उनके इस अविवेकपूर्ण निर्णय पर आपत्ति जताई और कहा कि वो किसी भी हाल में बिना इंटेलीजेंस इनपुट्स के भारतीय सैनिकों को एक अनजान, दुर्गम क्षेत्र में उतारने की सलाह नहीं देंगे, लेकिन राजीव जी नहीं माने। सेनाध्यक्ष ने भी RAW चीफ की बात से सहमति जताते हुए इसे सैनिकों के लिए एक आत्मघाती मिशन बताया लेकिन राजीव जी नहीं माने और उनके दबाव में अंततः इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (IPKF) को श्रीलंका भेज दिया गया।
32 महीनों के इस मिशन में हमारे 1200 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, इसमें से 200 की दु:खद मृत्यु तो सिर्फ एक ही दिन में जाफना यूनिवर्सिटी में स्थित LTTE मुख्यालय पर कब्जा करने के प्रयास में हुई, जहाँ बिना किसी लोकल सपोर्ट या सटीक इंटेलीजेंस के बगैर हमारे सैनिकों को एयर ड्रॉप किया गया और वो LTTE का आसान शिकार बन गए। LTTE के लड़ाके वहाँ के स्थानीय लोग थे, जिन्हें एक-एक सड़क, गली, जंगलों की सटीक जानकारी थी, जबकि हमारे सैनिक उन जगहों के लिए बिल्कुल नए थे और ऊपर से श्रीलंका की सेना ने हमेशा असहयोग किया। उस मिशन का परिणाम और उसके बाद की घटनाओं से हम में से ज्यादातर लोग परिचित हैं। इसी मिशन से नाराज होकर प्रभाकरण ने राजीव गांधी जी की हत्या करवा दी थी।
अभी लद्दाख में हमारी जमीन बचाते हुए हमारे 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए हैं तो कांग्रेसियों, अंधविरोधियों ने कोहर्राम मचा रखा है। यहाँ तो हम अपनी जमीन, अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं, क्या ये कांग्रेसी लोग इस भूतपूर्व फौजी ओमसिंह राणा को समझा सकते हैं कि श्रीलंका में 1200 सैनिकों की जान देकर हमने क्या हासिल किया था ?
बगैर सेना, इंटेलीजेंस (रॉ) की सलाह के 1200 सैनिकों को मौत के मुँह में झोंक देने वाले राजीव गांधी और उनके परिवार के भक्त मुझे और पूरे देश को जवाब दें।