शोहरतगढ़ के पूर्व विधायक कोरोना लड़ाई पर मुख्यमंत्री योगी को लिखा पत्र

- एक बार कांग्रेस और दो बार भाजपा से विधायक रहे चौधरी ने जनता के लिये एक अच्छा कदम बताया


- बाढ़ से पीड़ितों का ध्यान न देने का आरोप लगाते हुये तत्कालीन राजनाथ सिंह सरकार पर से इस्तीफा देने वाले श्री पप्पू ने चिकित्सक तथा पुलिस प्रशासन के लिए सुझाव दिया


लखनऊ। प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जनपद की शोहरतगढ़ विधानसभा के पूर्व विधायक चौधरी रविन्द्र प्रताप सिंह उर्फ पप्पू चौधरी ने वैश्विक बीमारी कोरोना से लड़ रही योगी आदित्यनाथ सरकार का हौसला बढ़ाया है। जनता को लिखे एक पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में मुख्यमंत्री योगी ने सरकारी संसाधनों के माध्यम से जिस तरह मुस्तैदी दिखाई है उससे यह साफ हो गया है कि आज हमारे पास वह जुनून और आत्मबल है जिससे हम किसी भी बड़ी मुसीबत का सामना कर सकते हैं।


एक बार कांग्रेस और दो बार भाजपा से विधायक रहे श्री चौधरी ने जनता को लिखे पत्र में कहा कि हम पिछले डेढ़ महीने से लॉक डाउन की स्थिति से गुजर रहे हैं, योगी सरकार ने एक अच्छा कदम उठाते हुए अन्य प्रदेशों में फंसे उत्तर प्रदेश के मजदूरों श्रमिकों विद्यार्थियों आदि को सरकारी खर्च पर अपने गृह जनपद लाने का काम पूरा कर रही है। शासन-प्रशासन में बैठे लोगों को सुझाव भी दिया और कहा कि बाहर से आए लोगों को की सामूहिक रूप से क्वॉरेंटाइन व्यवस्था ना करके वर्तमान में बंद पड़े विद्यालयों में करें जिसमें प्रत्येक कमरे में 2 से अधिक व्यक्ति को ना रखा जाए तथा इन्हें अपने गांव से दूर रखा जाए, क्योंकि संज्ञान में आ रहा है की कई लोग दिन में गांव के स्कूल में क्वॉरेंटाइन किए जाते हैं तथा रात को अपने घर चले जाते हैं फिर सुबह वह क्वॉरेंटाइन केंद्रों पर वापस आ जाते हैं। ऐसे क्वॉरेंटाइन का कोई विशेष महत्व नहीं है।


बाढ़ से पीड़ितों का ध्यान न देने का आरोप लगाते हुये तत्कालीन राजनाथ सिंह सरकार पर से इस्तीफा देने वाले श्री पप्पू ने सुझाव दिया कि हमारे चिकित्सक तथा पुलिस प्रशासन के लोग अनुशासित ढंग से अपने उत्तरदायित्व को निभा रहे हैं। इन्हें सरकार द्वारा उचित संसाधन उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। वैसे इस मुसीबत की घड़ी में सरकार ने कम्युनिटी किचन, श्रमिकों को ₹1000, उज्जवला गैस धारकों को नि:शुल्क रसोई गैस वितरण आदि एक सराहनीय कदम है। पूर्व विधायक पप्पू चौधरी हमेशा अपनी बात बेबाकी से रखने वालों में गिने जाते हैं, भले ही उनका राजनीतिक नुकसान ही क्यों न हो जाय।