20 लाख करोड़ ₹ : धैर्य व निष्ठापूर्वक कार्य करते हुये आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होगा

20 लाख करोड़ ₹ : धैर्य व निष्ठापूर्वक कार्य करते हुये आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होगा


लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड-19 (कोरोना) से उबरने के लिये ग्लोबल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों के लिए 20 लाख करोड़ ₹ राहत पैकेज की घोषणा की। इस घोषणा को आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, आलोचक, समालोचक जैसे विभिन्न विशषज्ञों द्वारा अपने-अपने नजरिए से देखा गया। इसी प्रकार शैलेश श्रीवास्तव ने अपनी समीक्षा कर कहा कि यह देशवासियों को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाएगा। धैर्य व निष्ठापूर्वक कार्य करते हुये आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होगा। श्री श्रीवास्तव की समीक्षा पूरी तरह सरकारी आँकड़ों पर आधारित है।


शैलेश श्रीवास्तव ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा दिये गये राहत पैकेज के केन्द्र बिन्दु में किसान एवं कृषि से सम्बंधित क्षेत्र रहे। सरकार ने मधुमक्खी पालन, गाय और भैंस, टीकाकरण, पशुपालन आदि पर विशेष ध्यान दिया। कृषि बुनियादी संरचना कोष को भी बनाने का संकल्प बताया है। आशा है इन सबसे कृषि क्षेत्र की दशा और दिशा में आमूल चूक परिवर्तन देखा जाएगा।


हर्बल कल्टिवेशन, मेडिकल प्लांट को बढ़ावा देने की भी योजना है। आशा है कि गंगा नदी के दोनो किनारों पर इन दोनों तरह की खेती से ना केवल देश की जरूरतें पूरी होगी बल्कि इनका निर्यात भी किया जा सकेगा। दुग्ध विकाश क्षेत्र तथा उस से जुड़े आयामों के बनाने के क्षेत्र को भी बढ़ावा देने के लिए विस्तृत कार्य योजना तथा आर्थिक मदद की बात कही है। वन सम्पदा विकास के लिए भी कार्य योजना बनाई गयी है। लॉक डाउन के समय सभी आउट लेट बंद होने के कारण दूध की डिमांड कम होकर प्रतिदिन 360 लाख लीटर प्रतिदिन रह गयी, जबकि सामान्य रूप से डिमांड 560 लाख लीटर प्रतिदिन की होती है। आर्थिक मदद के तौर पर दुग्ध उत्पादन सहकारी संस्थानों को जिनसे लगभग 2 करोड़ किसान जुड़े हैं, 5000 करोड़ ₹ की सहायता दी गयी। ये राशि 2 फीसदी ब्याज पर उपलब्ध कराई गयी। समय पर या समय से पहले चुकता करने पर अतिरिक्त 2 फीसदी छूट भी प्रदान की गयी। इस के कारण लगभग 4100 लाख करोड़ लीटर की अतिरिक्त ख़रीद हुई। इनका उपयोग दुग्ध पाउडर इत्यादि बनाने के लिए हो सकता है।


किसानों को अब आवश्यक नहीं की वो अपने उत्पाद (प्रोडक्ट) को किसी निर्धारित व्यक्ति या क्षेत्र में ही बेचें। अब किसान अपने चाहत के अनुसार अपने क़ीमत पर कहीं भी बेच सकेगा। प्रोजेक्ट को किसी भी राज्य या मार्केट (बाजार) में ले जाकर बेच सकेंगे। आने-जाने में रोक टोक के नियम अब लागू नहीं होंगे। केन्द्र सरकार इस प्रकार के नियम जल्द ही बना रही है। इसी प्रकार एससेंसीयल कमोडिटीज़ ऐक्ट जो वर्ष 1955 में बना था उस में भी आवश्यक बदलाव किया जा रहा है। अब दलहन, तिलहन, तेल, आलू प्याज़ आदि के स्टॉक रखने पर कोई भी बंदिश नहीं होगी। फ़ूड प्रॉसेसिंग यूनिट पर भी किसी प्रकार के उत्पाद को रखने की कोई सीमा नहीं होगी।


सरकार यह भी निश्चित करना चाहती है की किसान बुवाई करते समय ही जो उत्पाद होगा उसका क्या मूल्य प्राप्त होगा उसके बारे में निश्चिंत हो जाए। इसमें किसान किसी भी व्यक्ति, संस्थान से सम्पर्क कर अच्छा से अच्छा मूल्य का निर्धारण करा सकता है। आवश्यक प्रतिदिन लगने वाले कृषि उत्पाद जैसे आलू ,प्याज़, टमाटर इत्यादि को कोल्ड स्टॉरिज में रखने पर भी छूट मिलेगी। मत्स्य पालन, पशु पालन के क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए भी आर्थिक सहायता की घोषणा की गयी है जिस से वैश्विक बाज़ार में और अग्रेसिव रूप से भाग लें सकें। सरकार ने एक स्कीम फ़ोर फ़ॉर्मैलिटीज़ ओफ़ माइक्रो फ़ूड एंटर्प्रायज़ेज़ (MFE) भी बनाया है जिससे लगभग 2,00,000 लोगों को सुविधा होगी विशेष रूप से क्लस्टर के तहत। इसके लिए सरकार में 10,000 करोड़ ₹ की राशि का प्रावधान किया है। (लेखक : श्री शैलेश कुमार श्रीवास्तव जी दिल्ली एनसीआर के निवासी हैं)