दिहाड़ी मजदूरों को 1000 ₹ भरण-पोषण भत्ता नाकाफी
- सरकार 'कोरोना आपदा कोष' बनाये : माले

 

लखनऊ। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कोरोना संकट के मद्देनजर दिहाड़ी व मनरेगा मजदूरों को भरण-पोषण भत्ता के रूप में 1000 रु0 प्रतिमाह की सरकारी सहायता को नाकाफी बताया है। पार्टी ने सरकार से राज्य की विशाल जनसंख्या के अनुरूप पर्याप्त आवंटन के साथ एक 'कोरोना आपदा कोष' बनाने की मांग की है।

 

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि इस आपदा कोष का उपयोग विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवाओं को वायरस के संकट से निपटने के अनुरूप बनाने, निजी व सरकारी अस्पतालों में कोरोना-जांच व इलाज मुफ्त करने, लॉकडाउन व कोरोना-जनित कारणों से रोजीरोटी का संकट झेल रहे सभी मजदूरों-गरीबों-जरूरतमंदों को राशन, जीवनोपयोगी वस्तुएं व बचाव के संसाधन उपलब्ध कराने, पेंशनभोगियों को अतिरिक्त व अग्रिम राशि पहुंचाने और ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर मलिन बस्तियों तक में जागरूकता व बचाव के वैज्ञानिक तौर-तरीकों के प्रचार-प्रसार के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिहाड़ी मजदूरों को मासिक गुजारा राशि बढ़ा कर कम-से-कम 15000 रु0 करने चाहिए।

 

माले नेता ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेनसिंग) बनाने के सिद्धांत के तहत सरकार को भी तर्कसम्मत दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। इसके तहत जेलों में भीड़भाड़ को कम करना चाहिए क्योंकि अधिकांश जेलों में क्षमता से अधिक कैदी ठुसे हुए हैं और यह स्थिति कोरोना संकट को और भयावह बना सकती है। उन्होंने कहा कि आंदोलनों में गिरफ्तार कार्यकर्ताओं समेत विचाराधीन कैदियों, यहां तक कि कुछ सजायाफ्ता बंदियों को भी पेरोल पर रिहाई के आदेश फौरन जारी करने चाहिए। साथ ही, एक अप्रैल से किये जाने वाले जनगणना-एनपीआर सर्वे को रोकने की घोषणा कर देनी चाहिए।