काम हुआ नहीं, महापौर बोलीं काम हो गया

- महापौर को भाले की मरम्मत करवाने को ज्ञापन दिया
लखनऊ। नगर निगम को पांच महीने में दो बार पत्र लिखने के बाद भी महाराणा प्रताप के भाले की मरम्मत नही हुई। जिसके बाद 4 फरवरी को राष्ट्रीय एकता मिशन के सदस्यगणो ने महापौर को ज्ञापन दियां। जिसमें कहा गया कि प्रतिमा के भाले का पिछले हिस्सा टूटा है, उसे सही कराया जाए। 
मिशन के संयोजन सत्य पाठक ने महापौर संयुक्ता भाटिया से भाले की मरम्मत न होने पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होने नगर निगम में हो रही हीला-हवाली के बारे में बताया। महापौर संयुक्ता भाटिया ने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा-‘‘मुझे जानकारी दी गयी है कि हुसैनगंज के चौराहे पर बनी प्रतिमा, महाराणा प्रताप के भाले को सही करा दिया गया है। उन्होंने पुनः नगर अभियन्ता-1 को प्रतिमा का निरीक्षण कर, अति शीघ्र भाले की मरम्मत कर, अवगत कराने को कहा है।
सुनवाई नही हुई तो होगा एक दिवसीय धरना प्रदर्शन
राष्ट्रीय एकता मिशन के प्रवक्ता सतीश दीक्षित के माध्यम से 30 अगस्त 2019 और 7 जनवरी 2020 को नगर आयुक्त और महापौर को पत्र लिखकर अवगत कराया गया गया था कि महाराणा प्रताप के भाले के पिछले टूटे हिस्से को सही करा दिया जाए। श्री दीक्षित के अनुसार तत्कालीन नगर अभियन्ता-1 डीएसत्रिपाठी और संबंधित जेई द्वारा केवल आश्वासन ही मिलता रहा लेकिन उक्त भाले की मरम्मत नही हुई थी। जिसके बाद मिशन के संयोजक सत्य पाठक और सतीश दीक्षित, डा0 देवब्रत मिश्र, सुरेन्द्र सिंह चौहान, अरूणेश कुमार, राजा गुप्ता, शोभा दिवेदी, तरूणेश कुमार एवं शालिनी सिंह आदि के साथ नगर निगम पहुंचें। महापौर को एक ज्ञापन देकर माँग की है कि हुसैनगंज चौराहे पर लगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा वाले भाले का पिछला हिस्सा टूता है उस हिस्से की मरम्मत अति शीघ्र करा दी जाए। सत्य पाठक ने कहा-‘‘यदि माँग पूरी नही की जाती है तो मिशन के लोग एक दिवसीय धरने के माध्यम से अपनी बात शासन तक पहुचायेंगे।
महाराणा है शिशोदिया वंश की अमर गाथा के प्रतीक
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 राजगढ़ दुर्ग, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने पूरे जीवन मुगल शाशको का नेतृत्व स्वीकार नही किया। इतिहास बताता है कि हल्दीघाटी का युद्ध मुगल शाशक अकबर के साथ हुआ था। इस युद्ध में उनके दुश्मनों की सेना में 80 हजार सैनिक थे, परन्तु महाराणा प्रताप के पास एक चैथाई ही सैनिक थे लेकिन युद्ध जब हुआ तो अकबर को अपनी सेना को वापस बुलाना पड़ा। इस प्रकार यह युद्ध बिना हार-जीत के  समाप्त हो गया। ऐसे महान पुरूष एवं युद्ध में अपने भाले का पराक्रम दिखाने वाले महाराणा प्रताप की प्रतिमा लखनऊ शहर के हुसैनगंज चौराहे पर शिशोदिया राजवंश की अमरगाथा का बखान कर रही है। परन्तु नगर निगम की हीला-हवाली के चलते पांच माह गुजर जाने के बाद भी उनके भाले की मरम्मत नही हुई। जिससे शहर की गरिमा को ठेस पहुचती है। प्रश्न यह है महापौर को ज्ञापन देने के बाद थी क्या मिशन की माँग नगर निगम पूरी कर पायेगा। या फिर नगर निमग कुम्भकर्णी नींद सोता रहेगा।