लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि देष के नवयुवकों में मानसिक उबाल पैदा करने वाला नागरिकता संषोधन अधिनियम पारित करके केन्द्र सरकार ने सामाजिक सामंजस्य को तहस नहस करने का अपराध किया है। सम्पूर्ण जनमानस इस अधिनियम के पारित होने से आमजन जीवन के सारे मुददे भूलकर केवल केन्द्र सरकार की अनावष्यक और मनमानी कार्यवाही से उद्वेलित है। ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह मिला जुला खेल देष के आपसी सदभाव को समाप्त करके वर्ग संघर्ष की आग में झोककर देष को तबाही के रास्ते पर ले जाने वाला है।
डाॅ. अहमद ने कहा कि केन्द्र सरकार मंहगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुददों पर फेल होेने के साथ साथ देष की अर्थव्यवस्था को डूबोने का कूचक्र रचती चली आ रही है और आम जनता का ध्यान हटाने के लिए नागरिकता संषोधन अधिनियम की आड़ मं एनआरसी लागू करके देष के मुस्लिम समुदाय को स्टेटलेस करने के घातक षड़यंत्र की कूटरचना की है जो अपने दूरगामी परिणाम देकर देष को 70 वर्ष पीछे ले जाने का काम करेगी। इस संषोधन से देष का नवयुवक आन्दोलित होकर अपने मार्ग से विचलित हो रहा है और कतिपय नेताओं के सख्त कार्यवाही सम्बन्धी बयानों से आग मे घी डालने का काम हो रहा है।
रालोद प्रदेष अध्यक्ष ने केन्द्र सरकार से मांग करते हुय कहा कि राष्ट्रहित में संसद का विषेष सत्र बुलाकर इस संषोधन को निरस्त करने की प्रक्रिया अपनायी जाय ताकि देष का नागरिक अपने को सुरक्षित महसूस कर सके और साम्प्रदायिक सदभाव की जडें मजबूत हो सके जिसके फलस्वरूप भारत विष्व पटल पर अपना सर ऊँचा रख सके साथ ही साथ धर्म निरपेक्ष संविधान की गरिमा वापस हो सके।
नागरिकता संशोधन बिल से केन्द्र ने सामाजिक सामंजस्य को बिगाड़ने का अपराध किया : रालोद