काश! पीएसी कर्मियों जैसा आचरण सबका होता

मेट्रो यात्रियों के छूटे सामानों को ईमानदारी से उन्हें कर रहे सुपुर्द



हाइब्रिड सुरक्षा मॉडल पर मेट्रो सुरक्षा में लगे पुलिस प्राइवेट सुरक्षा जवानो द्वारा मेट्रो यात्रियों के छूटे सामानों को जिस ईमानदारी से उन्हें सुपुर्द कर रहे है उससे ऐसा लग रहा है श्री कृष्ण के अनन्य उपासक यूपी पुलिस की मौलिक प्रवृति को दर्शाते हुए भगवत गीता की त्याग व निर्मोह की फिलॉसपी को साकार कर रहे है। आज लगभग 11:10 बजे मेट्रो स्टेशन एयरपोर्ट के X-BIS मशीन पर एक काले रंग का हैंड बैग छूट गया जिसको प्राइवेट सुरक्षा गार्ड सुनील तिवारी द्वारा  PC-IC उपनिरीक्षक अजीत कुमार सिंह के पास लाया गया। इसकी सूचना तत्काल स्टेशन कंट्रोलर को दी गई, स्टेशन कंट्रोलर द्वारा इस बैग के बारे में तुरंत स्टेशन परिसर में अनाउंसमेंट कराया गया लेकिन 10-15 मिनट  इंतज़ार करने के बाद भी कोई यात्री बैग लेने नहीं आया तो उस बैग को चेक किया गया जिसमें दो एटीएम कार्ड( केनरा बैंक तथा बैंक ऑफ इंडिया के) एक पैन कार्ड ( जिसपर प्रभात त्रिपाठी S/O उमाकांत त्रिपाठी, H-N-E 35 बंगला, जिलाधीश कालोनी, तहसील - कालोनी, थाना - कोतवाली, हमीरपुर अंकित है), एक ड्राइविंग लाइसेंस, एक निर्वाचन कार्ड, एक यात्रा कार्ड, एक मोबाइल चार्जर, एक केनरा बैंक का चेक बुक तथा तीन साइन किए हुए चेक ( जो Rs. 2,00000, Rs. 1,00000 तथा Rs.21,544 के हैं) मिले। इसकी सूचना मेट्रो कंट्रोल रूम के वायरलेस आपरेटर शशि कांत राव को सेट के माध्यम से दी गई। मेट्रो कंट्रोल द्वारा तुरंत इस बैग के बारे में  जानकारी सभी मेट्रो स्टेशनों को दी गई। कुछ देर इंतज़ार करने के बाद इस बैग को संबंधित रजिस्टर में एंट्री करके स्टेशन कंट्रोलर के पास जमा करवा दिया गया,सम्बन्धित व्यक्ति अपनी पहचान दिखाकर अपने सामान ले सकेगा। 13:50 बजे चारबाग मेट्रो स्टेशन के गेट न01 ऊपर X-BIS मशीन में एक यात्री का पीला एयर सफ़ेद रंग का हाफ जैकेट छूट गया जिसमे नगद ₹8600/- थे, जिसे 14:00 बजे सुरक्षा गार्ड अशोक पांडेय ने स्टेशन प्रभारी दरोगा राधे श्याम को सुपुर्द किये जिसे उन्होंने कंट्रोलर धीरेन्द्र के पास जमा कर दिया। 



 पंकज अग्रवाल (9125002782) पुत्र विनोद कुमार रुंगटा निवासी 82 गांधीनगर तेतरी बाजार सिद्धार्थ नगर, मेट्रो स्टेशन आये और स्टेशन कंट्रोलर से सारी औपचारिकता पूर्ण करने के बाद  अपना हाफ जैकेट व नगद रुपये ले गये।
काश!आमजन भी ऐसे ही आचरण करते किसी की संपत्ति ने लेते,किसी को दुख न पहुचाते तो समाज को पुलिस की आवश्यकता न होती।