अवध विश्वविद्यालय में बिना परीक्षा दिये छात्र फर्स्ट डिवीजन पास

अयोध्या, टी टी न्यूज।अवध विश्वविद्यालय में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। परीक्षा दिए बिना ही 50 से अधिक छात्रों को एमएससी में प्रथम श्रेणी से पास कर दिया गया। यही नहीं, इन्हें प्रमाणपत्र तक जारी कर दिए गए। यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है आरटीई के तहत मांगी गई जानकारी में। अब कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने पूरे मामले की जांच का आदेश देकर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।


मामला अयोध्या के श्रीराम जानकी महाविद्यालय, अमावां सूफी अमानीगंज का है। वर्ष 2018-19 में इसका सेंटर जिले के ही श्रीराम सिंह गुलेरिया कुरावन गया था। इसमें एमएससी अंतिम वर्ष (मैथ्स, केमेस्ट्री व जूलोजी) के 50 से अधिक छात्रों ने परीक्षा ही नहीं दी, लेकिन नतीजे आए तो सब फर्स्ट क्लास में पास हो गए। परीक्षा विभाग के इस कारनामे ने परीक्षा की शुचिता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। इस संदर्भ में उप कुलसचिव विनय कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जताई है।


ऐसे कारनामे
अपूर्व राय (रोल नंबर-18819403) एमएससी फाइनल ईयर (केमेस्ट्री) का छात्र था। उसने द्वितीय पेपर दिया भी नहीं था। इसके बाद भी विवि प्रशासन ने उसे फर्स्ट डिवीजन से पास कर डिग्री दे दी। श्रीराम सिंह गुलेरिया कुरावन महाविद्यालय के परीक्षा इंचार्ज ने विवि प्रशासन को भेजी गई अटेंडेंस शीट में इन छात्रों को अनुपस्थित दिखाया था। साथ ही उनकी सादी कॉपियां भी विवि प्रशासन को भेजी थीं।
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मामला गंभीर, होगी जांच
मामला बेहद गंभीर है। इसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। - प्रो. मनोज दीक्षित, कुलपति, अवध विश्वविद्यालय


नहीं हुआ फर्जीवाड़ा, छात्रों ने दी थी परीक्षा
मेरी जानकारी में किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है। उक्त छात्रों की परीक्षा श्री रामसिंह गुलेरिया महाविद्यालय कुरावन परीक्षा केंद्र पर हुई थी। उपस्थिति/अनुपस्थिति की जानकारी उसी कॉलेज से ही हो सकती है। -अवधेश शुक्ला, प्राचार्य, राम जानकी महाविद्यालय
दिल्ली के कानून मंत्री को भी मिल चुकी है फर्जी डिग्री
एमएससी की परीक्षा पास कराने में हुआ गड़बड़झाला कोई नहीं बात नहीं हैं। जुगाड़, तिकड़म के सहारे बिना परीक्षा दिए डिग्री हासिल करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। यही नहीं घोटालों के आरोपों पर पर्दा डालना भी अवध विवि प्रशासन की आदत बन गई है। इससे पहले भी अवध विवि द्वारा कई बड़े लोगों को जारी की गईं डिग्रियां फर्जी साबित हो चुकी हैं।


इनमें दिल्ली सरकार के कानून मंत्री रहे जितेंद्र तोमर, उ.प्र. राज्य औद्योगिक विकास निगम के मुख्य अभियंता अरुण कुमार मिश्र की बीटेक डिग्री, राजा मोहन गर्ल्स पीजी कॉलेज की पूर्व प्राचार्य शशि मिश्र की परास्नातक की डिग्री भी फर्जी साबित हो चुकी है। इसकी शिकायत के बाद भी विवि ने जांच कर कोई कारगर कार्रवाई नहीं की है।


अधिवक्ता की आरटीआई में हुआ मामले का खुलासा
अवध विवि के परीक्षा विभाग की इस कारगुजारी का खुलासा अधिवक्ता पवन पांडेय द्वारा मांगी गई आरटीआई से हुआ। पवन ने बताया कि इसकी जानकारी उन्हें हो गई थी। इस पर उन्होंने पहले विवि प्रशासन के परीक्षा नियंत्रक से जानकारी मांगी, जिस पर उन्होंने संबंधित सेंटर से जानकारी प्राप्त करने को कहा। इसके बाद उन्होंने श्रीराम सिंह गुलेरिया कुरावन महाविद्यालय से आरटीआई के जरिए यह जानकारी मांगी।


महाविद्यालय द्वारा दिए गए जवाब में बताया कि श्रीराम जानकी महाविद्यालय अमावां सूफी के एमएससी फाइनल के छात्रों ने उनके महाविद्यालय पर परीक्षा दी थी, इसमें 50 से ज्यादा अलग-अलग पेपरों में अनुपस्थित थे। इसको विवि द्वारा भेजी गई उपस्थित पंजिका में अंकित किया गया था।


साथ ही इन छात्रों की बची हुई सादी कॉपियों को भी विवि प्रशासन को वापस कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा माफिया व विवि प्रशासन की मिलीभगत से यह कारनामा किया गया है। उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
विवि में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच का पत्र नहीं पहुंचा डीएम के पास
अवध विवि में शीर्ष स्तर से लूटखसोट का मामला भी नाटकीय अंदाज से जांच के दायरे में नहीं आ पाया। कर्मचारी संघ ने कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित और उनकी टीम पर तमाम अनियमितता का आरोप लगाते हुए कार्य बहिष्कार किया था। मामले में कुलपति ने अपनी बेदाग छवि साबित करने के लिए कर्मचारी संघ के आरोपों पर डीएम के माध्यम से शासन को सीबीआई जांच कराने की सिफारिश भेज दी। यह पत्र सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। अखबारों व मीडिया की सुर्खियां बना। मगर हकीकत में कुछ नहीं हुआ।


डीएम अनुज कुमार झा ने शुक्रवार को बताया कि कुलपति की ओर से उन्हें विवि में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने के संबंधी पत्र आजतक नहीं मिला है। नौ अगस्त के कथित पत्र को कार्यालय-आवास से लेकर डाक रजिस्टर तक चेक करवा चुका हूं। यदि पत्र आया होता तो उसे शासन को यथोचित कार्रवाई के लिए भेजा जाता।