‘‘रसना एक यह मंगल महा’’

''रसना एक यह मंगल महा'' (एक सुन्दर वैवाहिक विवरण)


लखनऊ। कुँवारी अनन्या व कुुँँवर केशव का शुभ विवाह, 10 नवम्बर को लखनऊ स्थित जनेश्वर मिश्र पार्क में प्रभुराम जी की असीम अनुकम्पा से सम्पन्न हुआ। पूरा पूरा न सही कुछ वर्णन करना मेरे लिए वर वुध को आर्शीवाद स्वरूप यह लेख है।


रसना एक मंगलोस्त्वउत्सव महान, कैसे करूँ पूरा पूरा बखान, आँखे प्रभु की दी हुई दो, जो देख सकी वही बस कह दो, (जीभ) भजनों की बहार थी, गोवर्धन गिरिधारी महाराज महिमा तेरी तीन लोक से न्यारी है, लागी लागी उसको कहियो जब गुरु चरण में लागे, भजनों के गायन का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा था। भजनानंदी भजन सुनते मस्त हो भोजन का स्वाद भी भरपूर ले रहे थे।भोजन और भजन में एक मात्रा का अंतर है यानी भोजन मात्रा में ही करना चाहिए भजन में  कोई मात्रा नही होती परन्तु व्यंजनों के प्रकार और स्वादिस्दता इतनी की पूछो मत तब कोई अपने को कैसे रोके। कान कहे में और भजन सुनु जीभ कहे मुझे नही अभी रुकना।आनन्द ही आनंद हर और उमड़ रहा था।पंडाल की शोभा इतनी भव्य की भव्यता भी स्वंम इतरा रही होगी इसको देख कर।


मौसम की गुलाबी ठंड इतनी मनमोहक की क्या कहने। महमानों में कौन कौन वर-कुँवरि को आशिर्वाद देने पधारे गिनना मुश्किल है, सर्वप्रथम गगन विमल यानी निर्मल आकाश देवता तारागणों व चन्द्रमा के साथ गुलाबी ठंडक सहित विराजे है, वायु देवता आध्यात्मिक समीर सीतल,मन्द व सुगन्दीत लिये सबका स्वागत कर रहे है । धरती माता पर इतनी सुंदर कालीनें बिछी है उनका वर्णन जितना करो कम पड़ेगा।अग्नि देवता भी तन्दूर की भट्टियों में अपनी रंगबिरंगी लो लिए शोभायमान है। जल देवता भी पूरे प्रांगण में छोटी छोटी मिनिरल की बॉटल्स में मौजूद है। जिसकी जैसी दृस्टि उसके लिए वैसी सृष्टि यह यथार्थ भी साफ साफ देखने को मिला वहां।कुछ मनोरम छठा को देख आनंद मगन थे वही कुछ दातो तले उंगलियां दबाये सोचते जा रहे थे। प्रागंण इतना बड़ा था कि वाह जुटी सम्मानियों की भारी भीड़ बिना धकका मुकी के आराम से मनमर्जी के अनुसार घूम घूम कर खा पी व एक दूरसे से आसानी से मिल रही थी। कुछ टेबल्स पर बैठ कर परिजनों व मित्रो संग भोजन ग्रहण कर रहे थे वही शेष टोलियो में बातचीत करते हुए भोजन का आनन्द उठा रहे थे। कुछ कौन कौन vvip आया यह देखकर दंग रह गए।कुछ जो अपने को ही आजतक अवनीश जी का खास समझ रहे थे वो अन्य को वहा देख हतप्रभ थे मन ही मन कह रहे थे अरे ये भी अवनीश का मेहमान बन गया।परमसत्ता के पँचत्व तो लोकतंत्र की सत्ता के सिरमौर जो योगियों के भी महायोगिराज है और हम भोगियो के भी महाराज है, योगी और भोगी जिनको समान आदर व स्नेह करते है ऐसे उत्तर प्रदेश के यसस्वी मुख्यमंत्री योगी आदिय नाथ जी भी वर-वधु को आशिर्वाद देने पहुँचे।  उत्तर प्रदेश की संविधान प्रमुख राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी आर्शीवाद समारोह में चार चांद लगा रही थी अनीश ने अपनी धर्मपत्नी मालनी अवस्ती के साथ महाराज जी व गवर्नर का स्वागत किया।मंत्रियों में केंद्रीय mnti डॉ महेंद्र नाथ पांडेय जी सहित उत्तर प्रदेश सरकार के तमाम मन्त्रीगण पधारे, आईएएस अफसरो की भी बड़ी संख्या में उपस्थित थी। महेश, मनोज, लू आदि प्रमुख सचिव गण घंटो परिजनों सहित उपस्तिथ रहे। एक प्रमुख सचिव ने परागणकी फोटोज आपने मोबाइल से खिंची वो इतने खुश लग रहे थे कि फ़ोन से फोटोज एक दो नही दर्जनों खेचे जा रहे थे। सम्मानीय सम्पदकगण ब्यूरो चीफ और पत्रकारगण सैकड़ो की संख्या में मौजूद रहे कुछ आपस मे मिल रहे थे कुछ अधिकारियों व नेताओ को ही अपने साथियों से ज्यादा तवज्जो देने में जुटे थे। कलाकारों की उपस्थित भी बड़ी संख्या में रही। कुमार विस्वास, राजू श्रीवास्तव खूब एक दूसरे की प्रसंसा कर रहे थे। जाने माने पत्रकार यश भारती से सम्मानित हेमंत शर्मा भी खूब हंस व बोल रहे थे। हमेशा की तरह एबीपी न्यूज़ के वरिष्ट पत्रकार पंकज झा और nbt के बयूरो चीफ मनीष श्रीवास्तव हँस कम गम्भीर ज्यादा लग रहे थे मानो रामजी ने संसार चलाने की सारी जिम्मेदारी इन्ही के कंधों पर डाली है। अमर उजाला के बयूरो चीफ बड़े भाई जैसा सदा व्यवहार करने वाले अनिल श्रीवास्तव जी अपने सम्पादक जी के साथ आनंदमग्न लग रहे थे उन्होंने अपने सम्पादक जी से मेरा परिचय कराते हुए कहा कि मै भाजपा का धूरंदर नेता हू, उनका स्नेह मेरे लिये किसी और ओहदे से बहुत बड़ा है। मनमोहन जी, अविनाश मिश्रा, प्रदीप विश्वकर्मा, श्रीधर अग्निहोत्री, नीरज श्रीवास्तव व रतिभान tirpathi, प्रेम जी मुझे मस्त अंदाज में मिले। आसीस मिश्रा और विजय दुबे से भी हेलो हुई। अब अचानक मुझे हेमन्त जी दिखे वो प्लेट हाथ मे लिए क्या ले क्या बाद में लेना है शायद यही सोच कर एक एक व्यंजन को देख रहे थे, उन्होंने मुझे नही देखा मैन भी उनके मछली की आंख जैसे लक्ष्य को भंग करना उचित नही समझा।रात के साढ़े दस बजे थे मैंने सोचा अब मंच की और चलता हूं। दूल्हा-दुल्हिन को आशिर्वाद देने जब में मंच की और गया तो देखा शगुन व आशिर्वाद देने वालो की लंबी लाइन लगी है। मंच पर काफी सँख्या में अवस्थी परिवार के स्नेहीजन मौजूद है। लाइन धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी। हम सब आपस मे मजे से गपिया रहे थे। फ़ोटो ग्राफर्स के कैमरो से लाइट्स बखूबी चमक रही थी सब कैमरो  में कैद हो रहा था।पूर्व व वर्तमान मुख्यसचिव, प्रमुख सचिव गन अपने परिवारो सहित अछी क्वालटी के मणि माणिक की भांति अलग ही दिख रहे थे। पारखी की भांति मुझे एक पत्रकार सब का मूल्य बता रहे थे। मेरा अधिकारियों से परिचय वहा न के बराबर था भला हो पत्रकार मित्र का जो सब बता रहे थे।मंच पर हम आखिरकार पहुँच ही गये। वर वधू को आशिर्वाद दिया परमात्मा सीताराम जी से उनके मंगलमय जीवन की प्राथना की। कुँवरि के माता पिता दोनो के मुखमण्डल की शोभा राजा जनक व रानी सुनयना जैसी थी।श्रीरामचरितमानस के रचयिता पूज्य गुरुदेव भगवन तुलसी दास की वो चोपाई मुझे बार बार याद आ रही थी जब राजा जनक ने अपनी पुत्री वैदेही को राम को विधि विधान से सोप दिया। चोपाई है, जिमिहिम् गिरजा महेसि सागर श्री हरि दिए, तिमि जनक राम सिया समर्पि जग कल कीर्ति नई। वैसे ही अवनीश व मालनी awasti ने अपनी पुत्री को केशव सौप दिया। मंच से अपनी कार तक मझे पहुँचने में 20 मिनट लगे। गजब की सुरक्षा व्यवस्था भी थी न आने में न जाने में तनिक सी भी कठिनाई हुई। मेरा यह लेख मेरे लिये व वर वधु के लिए यादगार होगा। दोनो को मेरा असीम आशिर्वाद।


नरेन्द्र सिंह राणा


लेखक भाजपा प्रदेश प्रवक्ता है