बिजली कर्मियों का पैसा लौटाने को डीएचएफएल ने कोर्ट से अनुमति मांगी

लखनऊ, 12 नवंबर। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि का पैसा लौटाने के लिए डीएचएफएल ने उच्च न्यायालय से अनुमति मांगी है। कंपनी ने अदालत से सावधि जमा पर ब्याज व मूलधन के भुगतान पर लगी रोक हटाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि वह कर्मचारियों का पैसा वापस करने को लेकर प्रतिबद्ध है। मुंबई उच्च न्यायालय ने रिलायंस निप्पोंन   की ओर से दायर एक याचिका के आधार पर बीते महीने डीएचएफएल को किसी तरह का भुगतान किए जाने पर रोक लगा दी थी।

अब डीएचएफएल ने मुंबई उच्च न्यायालय से अपनी जमा योजनाओं के भुगतान की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया है। रिलायंस निपप्पान की याचिका पर अपना अंतरिम जवाब देते हुए डीएचएफएल ने कहा कि कंपनी के नियामक नेशनल हाउसिंग बैंक के निर्देशानुसार सार्वजनिक जमा पर भुगतान करना जरूरी है। डीएचएफएल ने एक शपथपत्र दाखिल कर सोमवार को उच्च न्यायालय से परिपक्वता पर सार्वजनिक जमा पर भुगतान की मंजूरी मांगी है। इस याचिका पर गुरुवार को सुनवाई होनी है। डीएचएफएल का कहना है कि उसने इस साल 30 सितंबर तक परिपक्वता पर पावर सेक्टर एम्पलाईज ट्रस्ट को नियमित रूप  से ब्याज और मूलधन का पूरा भुगतान किया है। कंपनी का कहना है कि हाईकोर्ट से अनुमति मिलते ही वह परिपक्वता पर सभी सावधि जमा का भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध है। पावर सेक्टर इम्पलाईज ट्रस्ट बिजली कर्मचारियों के भविष्य निधि का प्रबंधन करता है।

डीएचएफएल ने आज जारी एक पत्र में कहा है कि उसे ट्रस्ट ने समय समय पर अलग अलग अवधि के मियादी जमा पर कोटेशन जमा करने के लिए आमंत्रित किया था और पहली बार मांर्च 2017 में इसने पावर सेक्टर इम्पलाईज ट्रस्ट की जमा धनराशि स्वीकार की। डीएचएफएल ने मियादी जमा स्वीकार करते समय सभी नियमों को पूरा किया।  उसके बाद और 30 सितम्बर 2019 तक डीएचएफएल ने परिपक्वता पर पावर सेक्टर एम्पलाईज ट्रस्ट को नियमित रूप से ब्याज और मूलधन का पूरा भुगतान किया है और कंपनी की ओर से सितंबर तक का पूरा भुगतान किया जा चुका है।

कंपनी का कहना है कि रिलाएंस निपोन की ओर से 2019 दायर एक व्यावसायिक याचिका  पर सुनवाई करते हुए बाम्बे हाईकोर्ट ने 30 सितम्बर 2019 और 10 अक्टूबर 2019 ने कंपनी को अपने सुरक्षित व असुरक्षित देनदारों को भुगतान करने से रोक दिया है। इसमें सावधि जमाधारकों को किया जाने वाला भुगतान भी शामिल है।

इस व्यावसायिक याचिका पर अपना अंतरिम जवाब देते हुए डीएचएफएल ने कहा कि कंपनी के नियामक नेशनल हाउसिंग बैंक के निर्देशानुसार सार्वजनिक जमा पर भुगतान करना जरूरी है। डीएचएफएल ने उस याचिका पर एफिडेविट देकर 11 नवम्बर 2019 को बाम्बे हाईकोर्ट से परिपक्वता पर सार्वजनिक जमा पर भुगतान की मंजूरी मांगी है। इस याचिका पर 13 नवम्बर 2019 को सुनवाई होनी है।

डीएचएफएल का कहना है कि वह परिपक्वता पर सभी सावधि जमा का भुगतान करने के लिए वचनबद्ध है। कंपनी ने यह पत्र बिजली कर्मचारियों सहित सभी संबंधित पक्षों को भेजा है।