- घोषणा पत्र नहीं देने वाले किसान आगामी पेराई सत्र 2019-20 में
गन्ना आपूर्ति की सुविधा से होेंगे वंचित
- घोषणा पत्र में गलत सूचनायें देने वालेे किसानों का सट्टा नही होगा संचालित, जिसके लिये किसान स्वयं होंगे उत्तरदायी
- पेराई सत्र 2019-20 के लिए जारी सर्वेक्षण नीति के अनुसार सभी किसानों को गन्ना क्षेत्रफल एवं उनके भू-जोत के संबंध में घोषणा पत्र देना अनिवार्य
लखनऊ, 8 अक्टूबर। प्रदेश के आयुक्त गन्ना एवं चीनी संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया है कि गन्ना सर्वेक्षण नीति 2019-20 के अनुसार किसानों की गन्ना आपूर्ति हेतु सट्टा संचालन/पर्ची निर्गमन किये जाने के लिये किसान द्वारा अपने भूजोत एंव गन्ना क्षेत्रफल के संबंध में निर्धारित प्रारूप पर घोषणा-पत्र दिया जाना अनिवार्य है किन्तु कुछ चीनी मिल क्षेत्रों के कुछ किसानों द्वारा अभी तक अपना घोषणा-पत्र गन्ना समिति/परिषद कार्यालय में जमा नहींं किया गया है।
नियमानुसार ऐसे किसानों का सट्टा आगामी पेराई सत्र 2019-20 में संचालित नही हो सकेगा। और उन्हें किसी भी चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध नही कराई जायेगी।
श्री भूसरेड्डी बताया कि अभी तक घोषणा पत्र जमा न करने वाले किसानों को सत्र के दौरान गन्ना आपूर्ति में किसी असुविधा का सामना न करना पडे़ और किसी कारण से घोषणा-पत्र समय से न दे पाने के कारण वे सट्टा संचालन से वंचित न हो, इसलिये वह घोषणा-पत्र एक सप्ताह में संबंधित गन्ना समिति/परिषद कार्यालय में जमा कर दें, यदि इसके बाद भी किसान घोषणा-पत्र जमा नही करते है तो उनका सट्टा बंद करते हुये उन्हें पेराई सत्र 2019-20 के दौरान गन्ना आपूर्ति से वंचित कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि जिन कृषको ने खतौनी की स्वप्रमाणित प्रति अभी तक उपलब्ध नहीं कराई है, उनसे अंतिम बार अनुरोध है की वह कृषक इसे तत्काल संबंधित समिति में प्रस्तुत कर दे। घोषणा पत्र के साथ अपनी पहचान के लिए पूर्व में निर्धारित फोटो पहचान पत्र की छायाप्रति भी संबंधित समिति कार्यालय में जमा करनी होगी।
संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि जिन कृषकों द्वारा अपने सभी अभिलेख जमा कर दिए गए हैं वह अपने सर्वे, सट्टा, पर्ची संबंधित समस्त सूचनाएं वेबसाइट या अपने मोबाइल से ई-गन्ना एप्लीकेशन डाउनलोड कर उसके माध्यम से भी देख सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसी किसान द्वारा अपने घोषणा-पत्र में गन्ना क्षेत्रफल अथवा भू-जोत के संबंध में गलत आकड़े दिये जाते है और सत्यापन के दौरान उन्हें गलत पाया जाता है तो ऐसे गन्ना किसानों का सट्टा बंद करने के साथ-साथ गन्ना मूल्य भुगतान रोकने/विधिक कार्यवाही पर भी विचार किया जा सकता है, जिसके लिये गन्ना किसान स्वयं उत्तरदायी होंगे।