सभी संस्थाओं को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा
- उप्र सरकार कानून बनाकर जल संरक्षण द्वारा भूगर्भ जल स्तर को बढ़ायेगी

- सभी सरकारी/अर्द्ध सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया जायेगा

- व्यापक जन अभियान चलाकर जल संरक्षण के प्रति जनता को जागरूक किया जायेगा : महेन्द्र सिंह

 

लखनऊ, 5 सितम्बर। उप्र के जलशक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार विभिन्न माध्यमों एवं आयामों के माध्यम से जल संचयन करेगी तथा उसे एक्ट में भी परिवर्तित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उप्र सरकार अब ऐसे नियम बनायेगी कि चाहे कोई कालेज हो या वह इण्टर कालेज, प्राईवेट या सरकारी मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेज हो या कोई भी शैक्षिक संस्था या व्यापारिक संस्थान होगा सभी को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपनी अपनी संस्थाओं में लगाना अनिवार्य होगा।

डा. सिंह ने कहा कि मान्यता देने से पहले यह सुनिश्चित किया जायेगा कि वहां पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है या नही। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से सभी सरकारी आफिसों में चाहे वह तहसील हो, थाना हो, डीएम आफिस हो, सीडीओ आफिस हो, अस्पताल हो सभी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जायेगा।

जलशक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह योजना भवन के सभाकक्ष में भूगर्भ जल विभाग, उप्र तथा विभिन्न सामाजिक, व्यापारिक, शैक्षिक तथा तकनीकी शैक्षिक संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने के संसाधनों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आगे अब जो भी निर्माण कराये जायेंगे उसका नक्सा तभी पास किया जायेगा। जब वहां पर वाटर रिचार्ज सिस्टम बना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार अब ऐसे प्राविधान करेगी कि कहीं से भी हम जितना पानी लें उतना ही पानी धरती के अन्दर भी डाला जाये। उन्होंने कहा कि अब ऐसा एक्ट बनाया जायेगा, जिसमें यह प्राविधान किया जा रहा कि कोई भी इंडस्ट्री यदि पाइप द्वारा गन्दा पानी या प्रदूषित पानी धरती के अन्दर डाल रहा तो उसे 5 से 10 लाख जुर्माना तथा 5 से 7 साल की कड़ी सजा की भी व्यवस्था की जा रही है। डा. सिंह ने कहा कि अब पानी से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जायेगा। जल शक्ति मंत्री ने कहा कि ऐसे सभी एक्ट को लागू करके अगली बारिस से पहले जल संचय, जल संवर्धन के लिए बड़ा काम प्रदेश सरकार द्वारा किया जायेगा।

जलशक्ति मंत्री ने कहा कि नदियों का जीर्णोद्धार करना, नदियों के किनारे पेड़ लगाने, तालाबों के किनारे वृक्षारोपण करके जल संचयन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ छोटे-बड़े माडल के माध्यम से गरीब से गरीब आदमी भी अपने घर में रेन वाटर सिस्टम लगा सके या बना सकें उसके लिए भी माडल तैयार किया जायेगा। एकेटीयू के कुल सचिव से कहा गया कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के माध्यम से अच्छे माॅडल बनाकर अपने बेवसाइड पर डाले, ताकि कोई भी व्यक्ति उस माॅडल का प्रयोग आसानी कर सकें।

डा. महेन्द्र सिंह ने कहा कि प्राईमरी से लेकर हायर एजुकेशन के बच्चों को कैसे जल संरक्षण के लिए जागरूक किया जाये। इसके संबंधों पाठ्य-पुस्तकों में जल संरक्षण का विषय पढ़ाया जायेगा। पूरे प्रदेश में एक विशेष प्रकार का अभियान चलाया जायेगा। गोष्ठियां आयोजित करके पूरे प्रदेश के लोगों को जागरूक किया जायेगा, ताकि जल को बचाया एवं संरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि जल की महत्ता के बारे में लोगों को बताकर जल संवर्द्धन एवं जल संरक्षण को बढ़ाया जायेगा। डा. सिंह ने कहा कि जितनी भी नियोजित या अनयिोजित कालोनियां बनायी जायेंगी, वहां शतप्रतिशत रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनविार्य होगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सभी घरों में सबमर्सिबल पम्प में रीडिंग मीटर भी लगाना सुनिश्चित किया जायेगा, जिससे यह पता चल सके कि उक्त परिवार द्वारा कितने जल का दोहन किया जा रहा है।

बैठक में प्रमुख सचिव श्रीमती अनिता सिंह, लघु सिंचाई, विशेष सचिव जुहेर बिन सगीर, निदेशक वीके उपाध्याय, मुख्य अभियन्ता लघु सिंचाई, राजीव जैन, क्षेत्रीय निदेशक केन्द्रीय भूगर्भ जल बोर्ड वाईवी कौशिक, अपर पुलिस महानिदेशक महेन्द्र मोदी, 18 विभागों के नोडल अधिकारी तथा सामाजिक, व्यापारिक, शैक्षिक संस्थानों तथा तकनीकी शैक्षिक संस्थान के प्रतिनिधि उपस्थित थे।