वसुधैव कुटुम्बकम् के आदर्शों पर आधारित भारतीय संस्कृति और संविधान के अनुच्छेद 51 में निहित है
- वसुधैव कुटुम्बकम् के आदर्शों पर आधारित भारतीय संस्कृति और संविधान के अनुच्छेद 51 में निहित है

- राज्यपाल ने विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 20वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

- भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम के उच्च आदर्शों पर आधारित : राज्यपाल 

 

लखनऊ, 8 नवम्बर। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज सिटी माण्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 20वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् के उच्च आदर्शों पर आधारित है और यही व्यापक सोच हमारे संविधान के अनुच्छेद 51 में निहित है। भारत के संविधान का अनुच्छेद 51 विश्व में एकता, शांति और मानवता की भलाई करने एवं संसार के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने की बात करता है। हमारे देश की संस्कृति एवं सभ्यता ही 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की रही है, जिसमें हम सम्पूर्ण पृथ्वी को अपना घर और इसके समस्त मानव जाति को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमारा यह नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम विश्व कल्याण एवं मानव जाति की भलाई के लिए काम करें।
राज्यपाल ने कहा कि विश्व के 2.5 अरब बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए 'प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था' सबसे सशक्त माध्यम है, जिसका रास्ता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 से निकलता है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 51 की भावना को आत्मसात करके ही 'विश्व संसद', 'विश्व सरकार' व प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का गठन सम्भव है।
श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने विश्वास व्यक्त किया कि न्यायाधीशों के इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन से आगे आने वाली पीढ़ी को एक सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य प्राप्त होगा। उन्होंने सम्मेलन के आयोजन के लिए सिटी माण्टेसरी स्कूल के संस्थापक एवं प्रबन्धक तथा सम्मेलन के संयोजक श्री जगदीश गांधी को बधाई दी। इस अवसर पर 71 देशों से आये स्पीकर, मंत्री, मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश एवं कानूनविद् उपस्थित थे।