ऊँचाइयाँ देने के साथ विनाश की ओर भी तेजी से बढ़ता जा रहा विज्ञान : प्रदीप कुमार सिंह

- ऊँचाइयाँ देने के साथ विनाश की ओर भी तेजी से बढ़ता जा रहा विज्ञान : प्रदीप कुमार सिंह


- शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस


लखनऊ, 10 नवम्बर। प्रत्येक वर्ष 10 नवंबर को शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका प्रारंभ 2001 में हुआ था। इस दिन विज्ञान के महत्व और दैनिक जीवन में इसकी उपयोगिता को रेखांकित किया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे समाज और विज्ञान के बीच की दूरी मिटाने और वैज्ञानिक आविष्कारों के महत्व को स्थापित करना है। विश्व भर में शासकीय और गैर-शासकीय संस्थाएँ, वैज्ञानिक शोध संगठन, व्यावसायिक संघ, मीडिया, नगरपालिकाएँ, विज्ञान के शिक्षक, विद्यालय आदि इस दिन को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं।
यह दिन हर वर्ष हमें विश्व विज्ञान सम्मेलन में दो दस्तावेजों में से एक में घोषित उद्देश्य, विज्ञान संबंधी घोषणा और वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग, को प्राप्त करने तथा सम्मेलन की वैज्ञानिक कार्यसूची में शामिल संस्तुतियों, कार्यों के लिए ढांचा (फ्रेमवर्क) बनाने का अवसर देता है।
 
दुनिया गतिशील है इसलिए इसकी दिशा प्रगति की ओर होना चाहिए। विज्ञान आजीविका को उत्पन्न करता है। हर किसी को थोड़ा सा वैज्ञानिक बनना चाहिए। आदिकाल से आधुनिक काल तक विज्ञान ने ही मनुष्य को नित्य नई-नई जिज्ञासाओं की ओर अग्रसर किया है। आज मनुष्य विज्ञान के द्वारा ही प्रकृति की सत्ता के समक्ष चुनौती बनकर खड़ा हुआ है।


विज्ञान के दुष्परिणाम हमारे सामने हैं, परन्तु कल्याणकारी और विकास कार्यों में विज्ञान के योगदान का पलड़ा हमेशा भारी ही दिखाई पड़ता है। यहाँ पर सदी के सबसे महान वैज्ञानिक आइंस्टीन का कथन सार्थक लगता है कि “कोई भी चीज अच्छी या बुरी नहीं होती, हमारी सोच ही इसे अच्छा या बुरा बनाती है”।
इंटरनेट विश्व में जैसा क्रांतिकारी परिवर्तन करा रहा है वैसा किसी भी दूसरी तकनीक ने अभी तक नहीं किया है। इंटरनेट दूर बैठे उपभोक्ताओं के मध्य अत्यन्त ही त्वरित संवाद का माध्यम है। यह किसी भी सूचना को विश्व स्तर पर प्रकाशित करने का जरिया है। इंटरनेट सूचना का अपार सागर है। आज अरबों लोग विभिन्न कार्यों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। आज दुनिया के किसी भी भाग या क्षेत्र से इंटरनेट के द्वारा जुड़ना संभव है। 
 इंटरनेट द्वारा हम विश्व के किसी भी देश में किसी कंपनी, संस्था या व्यक्ति से तुरंत संपर्क स्थापित कर सकते हैं। ई-मेल या इलेक्ट्राॅनिक मेल अभी तक का सबसे लोकप्रिय उपयोग है, जिसने संचार के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। अन्य माध्यमों की तुलना में सस्ता, तेज रफ्तार और अधिक सुविधाजनक होने के कारण ई-मेल ने दुनिया भर के कार्यालयों और घरों में अपनी जगह बना ली है। सारे विश्व में आज विज्ञान, अर्थ व्यवस्था, प्रशासन, न्यायिक, मीडिया, राजनीति, अन्तरिक्ष, खेल, उद्योग, प्रबन्धन, कृषि, भूगर्भ विज्ञान, समाज सेवा, आध्यात्म, शिक्षा, चिकित्सा, तकनीकी, बैंकिग, सुरक्षा आदि सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों का बड़े ही बेहतर तथा योजनाबद्ध ढंग से विकास हो रहा है। अति आधुनिक तकनीक ने इंसान की भागम-दौड़ को कम किया है। इस बचे हुए समय का हमें विवेकी ढंग से मानव जाति के हित में भरपूर उपयोग करना चाहिए।  
 संक्षेप में, इंटरनेट ने मानव के कार्यों को अद्भुत गति प्रदान की है। भविष्य में, इंटरनेट आज के आधार पर कही 
अधिक प्रगतिशाली सेवायें प्रदान करने वाला होगा। गूगल के सेवा भी हमारी जानकारियों तथा अनुभव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यूट्यूब पर हम अपने मनचाहे विषय के वीडियो चयन करके देख-सुन सकते हैं। सभी विषयों के इनसाइक्लोपीडिया, सभी देशों के मानचित्र, संस्कृति, इतिहास, साहित्य और जो कुछ भी हम जानना चाहते हैं, उसके बारे में तमाम सूचना इंटरनेट के जरिये उपलब्ध हैं। सूचना तथा तकनीकी विकास ने वसुधा को ग्लोबल विलेज का स्वरूप प्रदान किया है। गुफाओं से शुरू हुई मानव सभ्यता की विकास यात्रा का अगला कदम तथा अन्तिम लक्ष्य विश्व की एक न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था (विश्व संसद) बनाकर आध्यात्मिक साम्राज्य स्थापित करना है। अब ग्लोबल विलेज से वसुधा को कुटुम्ब बनाने का समय आ गया है। 
21वीं सदी ने सार्वभौमिक 'जय जगत' अर्थात 'किसी एक देश की नहीं वरन् अब सारे विश्व की जय हो' के सर्वमान्य नारे के साकार होने के संसार की चारों दिशाओं से गूँज स्पष्ट सुनाई दे रही है। सारी दुनिया के प्रत्येक वोटर के उगंलियों के नीचे आज कम्प्यूटर के छोटे से माउस के रूप में मानव जाति को विश्व एकता की मंजिल तक ले जाने की अपार शक्ति दी है। भारतीय मीडिया विश्व के प्रत्येक वोटर को विश्वात्मा बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए विश्व परिवर्तन मिशन के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाने की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।       
 आज जहाँ एक ओर मनुष्य प्रकृति, संसाधनों तथा विज्ञान का मानव जाति की भलाई के लिए उपयोग करके विश्व विकास की चरम ऊँचाइयों को छू रहा है। वही दूसरी ओर मनुष्य ने प्रकृति, संसाधनों तथा विज्ञान का अविवेकी ढंग से दुरूपयोग करके मानव जाति को विनाश की कगार पर ला खड़ा किया है। वोटरशिप तथा शिक्षा के दो शक्तिशाली हथियारों से हम इन संकटों को अवश्य परास्त करेंगे।
हमारे जीवन का मंत्र होना चाहिए कि वोटरशिपयुक्त, विकासशील तथा प्रगतिशील जीवन न केवल हमारा जन्म सिद्ध अधिकार ही है वरन् हमारा कर्तव्य भी है। सूचना क्रान्ति के इस युग में व्यापक विश्व समाज को विश्व एकता के विचारों से जोड़ने के लिए शिक्षा, मीडिया तथा समाज की भूमिका पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ गयी है। विश्व के दो अरब  50 करोड़ से अधिक बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए विश्व संसद, विश्व सरकार तथा विश्व न्यायालय के गठन के अभियान में शिक्षा, मीडिया तथा समाज की सक्रिय भूमिका निभाने के लिए मानव जाति सदैव ऋणी रहेगी।
विश्वात्मा भरत गांधी के मार्गदर्शन में विश्व परिवर्तन मिशन ने पहले चरण में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका के वोटरों को एकजुट करके दक्षिण एशियाई सरकार के गठन करके वोटरशिप की धनराशि बढ़ाने का अभियान जोरदार ढंग से भारत में शुरू किया है। इस अभियान का नारा है दक्षिण एशियाई सरकार बनाओ, वोटरशिप की धनराशि बढ़ाओ। दक्षिण एशियाई सरकार का गठन होने से प्रत्येक वोटर के हिस्से का 6000 ₹ प्रतिमाह की धनराशि बढ़कर 15 हजार ₹ प्रतिमाह हो जायेगी। ऐसा इसलिए सम्भव होगा क्योंकि इन देशों के बीच दक्षिण एशियाई सरकार के गठन की सहमति होने से सुरक्षा पर खर्च की जाने वाली धनराशि को बचाया जा सकेगा तथा उस धनराशि को प्रत्येक वोटर को वोटरशिप के नाम पर बंटाना सम्भव हो जायेगा।
दक्षिण एशियाई सरकार के गठन से इन देशों के बीच युद्ध, डर, असुरक्षा तथा हिंसा समाप्त होने से व्यापक स्तर पर शान्ति आयेगी। आगे मिशन का पूरा विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र संघ को शक्ति प्रदान करके वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था (विश्व संसद), विश्व सरकार तथा विश्व न्यायालय के गठन का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके अन्तर्गत विश्व सरकार का गठन होने से युद्ध की तैयारी में विश्व के सभी देशों द्वारा की जा रही अपार धनराशि को बचाया जा सकेगा। भावी विश्व सरकार अपने प्रत्येक विश्ववासी वोटर के खाते में चालीस हजार रूपये प्रतिमाह डालकर एक नया इतिहास रचेगी। तब सही मायने में धरती में स्वर्ग का अवतरण अर्थात आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक साम्राज्य का सपना साकार होगा।