कैसे आंदोलन के इतिहास से जुड़ा है गोरखधाम

- परमपूज्य महंत दिग्विजय नाथ जी की अगुवाई में श्री रामजन्म भूमि आन्दोलन की शुरूसआत 1934 से 1949 के दशक में हुई


- परमपूज्य महंत अवेधनाथ जी 1983 में राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में राम मन्दिर आंदोलन चला


लखनऊ, 10 नवम्बर। मुख्यमंत्री परमपूज्य श्री योगी आदित्यनाथ जी गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बनने के बाद जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े, और आज जब फैसला आया और राम मन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ, तब वे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और उन्ही के कंधों पर राम मन्दिर निर्माण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आएगी।


यह संयोग ही कहा जाएगा कि अयोध्या रामजन्मभूमि मामले में जब भी कोई महत्वपूर्ण घटना घटी है तब उसका सम्बन्ध गोरखनाथ मन्दिर से जुड़ा है। 22/23 दिसम्बर 1949 को जब विवादित ढांचे में राम लला का प्रकटीकरण हुआ तब उस दौरान तत्कालीन गोरखनाथ मन्दिर के महन्त दिग्विजय नाथ जी कुछ साधु-संतो के साथ संकीर्तन कर रहे थे। 1986 में जब फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने हिन्दुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे पर ताला खोलने का आदेश दिया, तब वहां ताला खोलने के लिए गोरखनाथ मन्दिर के तत्कालीन महन्त अवेद्यनाथ जी मौजूद थे। बाद में रामजन्मभूमि आंदोलन का केन्द्र भी अवेद्यनाथ जी के नेतृत्व में गोरखनाथ मन्दिर ही बन गया था।


आज जब एक लम्बे इंतजार के बाद राम मन्दिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है और मन्दिर का मार्ग प्रशस्त हुआ है तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री उसी गोरखनाथ मन्दिर के वर्तमान महन्त योगी आदित्यनाथ जी हैं। अयोध्या आन्दोलन से शुरू करके राम मन्दिर निर्माण के लिए आये इस महत्वपूर्ण फैसले के गोरखनाथ मन्दिर से जुड़ाव का ऐतिहासिक तथ्य अद्भुत और ईश्वरीय संयोग ही है।