एमएसएमई के लिये सिडबी व बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ वेंचर कैपिटल फंड स्थापित होगा : डा. नवनीत सहगल
- सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम विकास एमएसएमई कंपनियों के विकास के लिए बैंक ऋण प्राप्त करने में पूरा सहयोग करेगा

 

- एमएसएमई कंपनियों को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सिडबी और बैंक ऑफ बड़ोदा के साथ वेंचर कैपिटल फंड स्थापित किया जायेगा : डा0 नवनीत सहगल

 

 लखनऊ, 19 सितम्बर। प्रदेश के प्रमुख सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डा0 नवनीत सहगल ने कहा कि एमएसएमई कंपनियों के विकास के लिए वित्तीय अनुउपलब्धता प्रमुख बाधाओं में से एक है। इस मुद्दे को महसूस करते हुए एमएसएमई, निर्यात प्रोत्साहन विभाग और ओडीओपी सेल ने एमएसएमई कंपनियों को बैंक ऋण प्राप्त करने में सहायता के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई है। इनमें मार्जिन मनी योजना, क्रेडिट गारंटी आदि योजनाएं प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके अतिरिक्त एमएसएमई इकाइयां, जिनमें ओडीओपी इकाइयाँ भी शामिल हैं, को अधिक ऋण देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ समन्वय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एमएसएमई कंपनियों को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सिडबी और बैंक ऑफ बड़ोदा जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों के साथ वेंचर कैपिटल फंड स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। 

      डा0 सहगल कैसरबाग स्थित निर्यात प्रोत्साहन भवन में ओडीओपी की साप्ताहिक समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बैंक और वेंचर कैपिटल फंड एमएसएमई के अधिकांश फंड की आवश्यकता का ध्यान रख सकते हैं, किन्तु वे एमएसएमई क्षेत्र में इक्विटी पूंजी के इंजेक्शन की कमी को संबोधित नहीं कर रहे हैं। इसके लिए, एमएसएमई और निर्यात प्रोत्साहन विभाग, उत्तर प्रदेश ने अगस्त, 2018 में एमओयू किए गये हैं। एमओयू का उद्देश्य ओडीओपी कंपनियों सहित एमएसएमई कंपनियों के लिए वित्त विकास पूंजी का एक और स्रोत खोलना था। अब तक दोनों एक्सचेंजों ने उत्तर प्रदेश से 17 एमएसएमई कम्पनियों को लिस्ट किया हैं और कई पाइपलाइन में हैं।

      प्रमुख सचिव ने कहा कि यूपी आधारित एमएसएमई की लिस्टिंग में तेजी लाई जाय तथा दोनों एक्सचेंजों को वार्ता के लिए बुलाया जाएं। उन्होंने दोनों एक्सचेंजों को उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक्सचेंज लिस्टिंग पात्रता मानदंड को पूरा करने वाली कंपनियों के साथ चर्चा करने के भी निर्देश दिये है। इसके अतिरिक्त, उन्होंनेे दोहराव से बचने के लिए दोनों एक्सचेंजों से अलग-अलग जिलों में काम करने की अपेक्षा की। इस संबंध में प्रगति की निगरानी के लिए, उन्होंने हर दो महीने में एक समीक्षा बैठक बुलाने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए है।