चिंताजनक स्थिति तक चरमरा गयी है उत्तर प्रदेश में कानून- व्यवस्था : भाकपा

- संज्ञान लेने और मुआबजा देने तक सिमट गयी है मुख्यमंत्री की भूमिका


लखनऊ, 19 अगस्त। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने बद से बदतर हालात में पहुँच चुकी कानून व्यवस्था की हालत पर गहरी चिंता व्यक्त की है। पार्टी ने इसमें सुधार के लिये ठोस उपाय करने की मांग की है।


भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि उभ्भा नरसंहार और उन्नाव कांड की दरिंदगी की यादें अभी ताजा बनी हुयीं थीं कि सहारनपुर में दिन दहाड़े पत्रकार और उसके भाई की हत्या कर दी गयी। इससे अपराधियों को ठिकाने लगाने के भाजपा के दाबों की पोल खुल गयी। सच तो यह है कि भाजपा के इस जंगलराज में पुलिस- प्रशासन खुद लाचारगी की स्थिति में आगया है। जगह- जगह शासक दल के क्लोन- बजरंग दल, विहिप और हिन्दू युवा वाहिनी न केवल कानून हाथ में लेरहे हैं अपितु उनके नापाक हाथ पुलिस के हथियारों और पुलिसकर्मियों के गले तक पहुँच रहे हैं। अपराध करने वालों को न केवल उन्हें दबाव में छोड़ना पड़ रहा है अपितु कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज किये जारहे हैं और उन्हें गहरी प्रताड़ना  झेलनी पड़ रही है। अतएव या तो वे आत्महत्यायेँ कर रहे हैं या फिर अपराधियों के हाथों मारे जारहे हैं।


उत्तर प्रदेश में भाजपा के दो साल के शासनकाल में पुलिसकर्मियों की आत्महत्याओं और हत्याओं ने रिकार्ड तोड़ दिया है। हत्या, लूट, दुराचार और उसके बाद हत्या और भीड़ द्वारा हत्याओं की वारदातों में अभूतपूर्व व्रध्दी हुयी है। भाजपा द्वारा चलाये गये जन सदस्यता अभियान के तहत सारे अपराधी और दबंग तत्वों ने भाजपा की सदस्यता ले ली है और वे निर्भय होकर अपराधों को अंजाम देरहे हैं। मुख्यमंत्री की भूमिका हर मामले में घटना का संज्ञान लेने और मुआबजा घोषित करने तक सीमित होकर रह गयी है। एक घटना की स्याही सूखने से पहले दूसरी बड़ी वारदात सामने आजाती है।


इससे प्रदेश का जनजीवन असामान्य बना हुआ है। कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के बजाय भाजपा और उसकी सरकार केवल और केवल वोट की राजनीति कर रही है।