जहरीली शराब से मौतों के लिये योगी सरकार जिम्मेदार : भाकपा

जहरीली शराब से मौतों के लिये  योगी सरकार जिम्मेदार : भाकपा


- भाकपा ने मुआबजे और पुनर्वास की मांग की


लखनऊ, 29 मई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मण्डल ने बाराबंकी में जहरीली शराब से एक बार फिर दो दर्जन निर्दोष लोगों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। भाकपा की सदिच्छा है कि इलाज करा रहे सभी लोग जल्द स्वस्थ होकर अपने परिवार के बीच पहुँचें।


घटना पर अफसोस जताते हुये भाकपा के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि एक योगिया वस्त्रधारी की सरकार के शासन काल में जहरीली शराव के पीने की एक दो नहीं पूरी आठ घटनायें होचुकी हैं। खुद बाराबंकी में यह दूसरी घटना है। इन घटनाओं में अब तक डेढ़ सौ से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। और अन्य दर्जनों नाजुक अंग गंवा चुके हैं।


लेकिन इन घटनाओं को रोका नहीं जासका है। घटना के बाद हर बार कहा जाता है कि योगीजी ने सख्त कार्यवाही के निर्देश देदिए हैं। कुछ अफसरों को निलंबित कर दिया जाता है, मुआबजा दिया जाता है, कार्यवाहियों का नाटक किया जाता है और जांच बैठा दी जाती है मगर नतीजा सिफर रहता है। खबर तो यह भी है कि बाराबंकी में जिस दुकान से यह जहरीली शराब बेची गयी उस पर गत माहो में भी जहरीली शराब पकड़ी गयी थी। मगर कोई कार्यवाही नहीं हुयी क्योंकि ठेकेदार शासक दल से संबंधित है।


भाकपा ने मांग की कि अब कोरी बयानबाजी और कार्यवाही से कुछ होने वाला नहीं है। अब जबावदेही तय होनी चाहिये। भाकपा ने सवाल कियाकि क्या इन संगीन मामलों के लिये मुख्यमंत्री जिम्मेदार नहीं हैं? क्या आबकारी मंत्री की कोई ज़िम्मेदारी नहीं है? क्या उनका काम खाली बयानवाजी करना या दिखावटी कार्यवाही करना मात्र है?


डा॰ गिरीश ने कहाकि आवकारी अधिनियम में सजा ए मौत का प्रावधान करने के बाद भी इन घटनाओं की पुनराव्रत्ति नहीं रुकी क्योंकि अपराधियों को विश्वास है कि सत्ताधारी दल से रसूखों के चलते वे साफ बच निकलेंगे। वैसे भी अधिकाधिक मुनाफा और पैसे कमाने की मानसिकता के आगे कड़े क़ानूनों का कोई मतलब नहीं है। भाजपा बिना परिश्रम किये अधिक धन कमाने की मानसिकता पर पनपती है और धर्म का नशा फैला कर जहरीली शराब बेचने की ज़िम्मेदारी से साफ बच निकलती है।


डा॰ गिरीश ने कहाकि यद्यपि मुआबजा स्थाई समाधान नहीं है फिर भी भाकपा मांग करती है कि म्रतक आश्रितों को पर्याप्त मुआबजा दिया जाये तथा घायलों के संपूर्ण उपचार और पुनर्वास की व्यवस्था की जाये। लेकिन इससे भी आवश्यक बात यह है कि उच्च स्तर पर पर नैतिक और रचनात्मक ज़िम्मेदारी तय हो ताकि भविष्य में ऐसी जनसंहारक वारदातें न हों।