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- किडनी व लिवर बेचने के घृणित मामले में फोर्टिस व पीएसआरटी अस्पताल का नाम आने के बाद डीजीपी ने मांगी रिपोर्ट
-कानपुर के एएसपी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित
-13 अन्य बड़े लोगों के नाम सामने आये
-कानपुर पुलिस ने जांच तेज की
लखनऊ, 18 फरवरी, सं.। लाखों रूपयों का लालच देकर किडनी और लिवर बेचने के घृणित मामले में दिल्ली के फोर्टिस व पीएसआरटी अस्पताल का नाम सामने आने के बाद डीजीपी ओपी सिंह ने कानपुर से पूरी रिपोर्ट तलब की है। इसके अलावा गिरोह के विरूद्ध एएसपी की अध्यक्षता में कानपुर के आईजी ने जांच के लिए एसआईटी गठित की है।
प्रदेश के आईजी कानून-व्यवस्था प्रवीण कुमार ने मंगलवार को बताया कि इस किडनी व लिवर बेचने में अब तक 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। इस मामले में 13 अन्य बड़े लोगों के नाम सामने आए हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए एसआईटी के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस लगातार दबिश दे रही है। माना जा रहा है कि इस रैकेट में कई बड़े नामचीन अस्पतला व नर्सिंग होम के डॉक्टरों व मालिकों के नाम शामिल हैं, जो जांच के बाद सामने आयेंगे।
कानपुर पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मानव अंगों की खरीद-फरोख्त करने वाले एक गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार कर जांच शु डिग्री कर दी है। उन्होंने बताया कि इस गैंग के सदस्य देश के कई हिस्सों में काम कर रहे हैं, जो गरीब और आर्थिक रूप से परेशान लोगों को बरगला कर उनकी किडनी और लिवर के अंगों का सौदा ऊँचे दामों में करते थे। आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि किडनी और लिवर डोनर मिलने के बाद इनका ट्रांसप्लांट देश के कई नामचीन अस्पतालों में किया जाता था। आरोप है कि मरीज के परिजनों से प्रति किडनी 25-30 लाख रूपये और लिवर के हिस्सों के बदले 70-80 लाख तक लेने वाले ये शातिर अंगदान करने वाले गरीबों को महज तीन लाख रूपये देते थे। हालांकि कानपुर पुलिस ने खुलासे के बाद अपनी जांच तेज कर दी है।