जालौन में सरकारी अस्पताल के बाहर बच्ची को जन्म देने के मामले में रिपोर्ट मांगी

जालौन में सरकारी अस्पताल के बाहर बच्ची को जन्म देने के मामले में मानवाधिकार आयोग ने 15 दिन में रिपोर्ट मांगी



लखनऊ, 29 जनवरी (टेलिस्कोप समाचार)। जलौन जिला अस्पताल के स्टाफ द्वारा गर्भवती महिला को बाहर करने व उसके बाद सड़क पर बच्ची के जन्म देने के मामले को उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है।


आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एस. रफत आलम ने जिलाधिकारी को 15 दिनों के भीतर पूरी रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
आयोग की ओर से मंगलवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार मीडिया में छपे समाचार को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगते हुए पीड़िता और उसकी नवजात बच्ची को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा देने का आयोग ने निर्देश दिया है।


मानवाधिकार आयोग द्वारा मामले को संज्ञान में लेने के बाद प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में चल रही लापरवाही सामने आई है। ऐसे में जालौन में अस्पताल से बाहर भगाई गई एक महिला को सड़क पर बच्ची को जन्म देने पर मजबूर होना पड़ा।
ज्ञात हो कि जालौन के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बाबई में सिरसा निवासी एक गर्भवती महिला मां के साथ प्रसव कराने पहुंची थी। जहां तैनात डॉक्टरों ने महिला को तीन दिन बाद आने की बात कहकर चलता कर दिया। परिवार के लोगों के बार-बार कहने पर भी डॉक्टरों ने उनकी एक न सुनी और उन्हें अस्पताल के बाहर भेज दिया। इसी बीच महिला की प्रसव वेदना बढ़ गई और वह अस्पताल परिसर में ही जमीन पर लेट गई। दर्द से तड़प रही थी महिला महिला को तड़पता देख वहां उपस्थित महिलाओं ने अस्पताल में पड़ी फट्टियों के पर्दे लगाकर महिला का प्रसव कराया, जिसके बाद महिला ने एक स्वास्थ्य बच्ची को जन्म दिया।


इतना सब होने के बाद भी अस्पताल के डॉक्टर या कोई भी कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा। फिलहाल यह पहली घटना नहीं है, जिनमें अस्पताल की लापरवाही सामने आई हो।